भाव करेजा क छलकि उठल अछि
गीत बनल त किछु गजल बनल अछि
रागिनि राग मिलल छै नोरमे
नेह बिरह संगहिमे सजल अछि
बाहर बैसल सगर समाज छै
प्रेम पियास अधर तर दबल अछि
रंग छुटल हाथक अनचोक मे
काढल रूमाल कतौ खसल अछि
२११२ २११२ २१२
गीत बनल त किछु गजल बनल अछि
रागिनि राग मिलल छै नोरमे
नेह बिरह संगहिमे सजल अछि
बाहर बैसल सगर समाज छै
प्रेम पियास अधर तर दबल अछि
रंग छुटल हाथक अनचोक मे
काढल रूमाल कतौ खसल अछि
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