मंगलवार, 25 फ़रवरी 2014

गजल

जाति- धर्मक​  जुन्नामें अँटियाइते रहलहुँ        
छूत​-अछुतक अदहनमें उधियाइते रहलहुँ

पेट कोना जड़लै पतियौलक कियो कहिया
झूठ​-साँचक भाषण धरि पतियाइते रहलहुँ

राज​-पाटक बखड़ामें बटलै अपन मानव​
​ऊँच​-नीचक​  झगड़ामें लतियाइते रहलहुँ

प्यास लगले रहलै गंगा धारमें तैयो
पाप-पुण्यक गंगामें  भसियाइते रहलहुँ     

राम मनुखक बूझत कहिया मोल ई दुनिया
कोण​​-साँन्हिक फ़ेकल धरि बसियाइते रहलहुँ

सभ पाँतिमे मात्राक्रम - 2122+222+2212+22 
तिथि: २४.०२.२०१४
©राम कुमार मिश्र

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों