काल्हि धरि छलहुँ हम अपन ओसारापर
आइ भने सूतल छी हम सारामे
गे हरजाइ तोरा लाज नै अबै छौ
हम मरि गेलहुँ तोहर आसामे
गजल
एहने सजा देबै ओकरा
आब हम बिसरि जेबै ओकरा
गीत सन छलै मुस्की साँझमे
भोरमे तँ हम गेबै ओकरा
किछु इयाद किछु दुख किछु नोर बस
एतबे सौंपि चलि जेबै ओकरा
ठोरपर सरापे छै जानि लिअ
असिरबाद नै देबै ओकरा
हँसि क' लेलकै सभटा दुख हमर
हम तँ आब सुख देबै ओकरा
सभ पाँतिमे 212+122+212 मात्राक्रम अछि।
सुझाव सादर आमंत्रित अछि। ऐ गजलमे गेयता नैकेँ बराबर अछि।
आइ भने सूतल छी हम सारामे
गे हरजाइ तोरा लाज नै अबै छौ
हम मरि गेलहुँ तोहर आसामे
गजल
एहने सजा देबै ओकरा
आब हम बिसरि जेबै ओकरा
गीत सन छलै मुस्की साँझमे
भोरमे तँ हम गेबै ओकरा
किछु इयाद किछु दुख किछु नोर बस
एतबे सौंपि चलि जेबै ओकरा
ठोरपर सरापे छै जानि लिअ
असिरबाद नै देबै ओकरा
हँसि क' लेलकै सभटा दुख हमर
हम तँ आब सुख देबै ओकरा
सभ पाँतिमे 212+122+212 मात्राक्रम अछि।
सुझाव सादर आमंत्रित अछि। ऐ गजलमे गेयता नैकेँ बराबर अछि।
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