शनिवार, 1 फ़रवरी 2014

गजल

काल्हि धरि छलहुँ हम अपन ओसारापर
आइ भने सूतल छी हम सारामे
गे हरजाइ तोरा लाज नै अबै छौ
हम मरि गेलहुँ तोहर आसामे


गजल

एहने सजा देबै ओकरा
आब हम बिसरि जेबै ओकरा

गीत सन छलै मुस्की साँझमे
भोरमे तँ हम गेबै ओकरा

किछु इयाद किछु दुख किछु नोर बस
एतबे सौंपि चलि जेबै ओकरा

ठोरपर सरापे छै जानि लिअ
असिरबाद नै देबै ओकरा

हँसि क' लेलकै सभटा दुख हमर
हम तँ आब सुख देबै ओकरा


सभ पाँतिमे 212+122+212 मात्राक्रम अछि।

सुझाव सादर आमंत्रित अछि। ऐ गजलमे गेयता नैकेँ बराबर अछि।

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तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों