भक्ति गजल-4
लिख रहल छथि पत्र सीता सुकुमारि यौ
अपन पाहुन लेल नेहक रस ढारि यौ
उपरमे छै लिखल शादर अछि नमन यौ
गामपर हेतै कुशल पूछै छथि सारि यौ
छी अयोध्यामे अहाँ हम जनकपुरमे
सहल नै जेतै विरहकें ई मारि यौ
गाम जा गेलौं बिसरि निज पति धर्म यौ
जोहि रहलौं बाट डिबिया बारि यौ
सून लागै घर बगैचा काटैत अछि
प्राण बिनु तन हमर गेलै हारि यौ
हमर बहिनक हाल सेहो बेहाल अछि
भाइ संगे आबि जैयौ दिअ तारि यौ
फाइलातुन-फाइलातुन-मुस्तफइलुन
2122-2122-2212
बहरे-जदीद
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