गजल-1.57 नै ककरोसँ कखनो फसल झगड़ा रहितै यदि जगमे बनल नै नेह भाषा रहितै नै डरतै महल शीशाक, पाथर लऽग जा यदि सब नेउँमे मजगूत ईटा रहितै चहुँ दिश भेटितै कननी दरद आ विरहिन सभक प्रेमिका भागसँ जँ राधा रहितै आधा ज्ञान सदिखन बनल घातक दुश्मन सब बनितै अपन घट भरल पूरा रहितै बीच्चे सड़कपर नवजात तन नै रहितै यदि मिसियो बचल माएक ममता रहितै 2221-2221-2222 अमित मिश्र
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शुक्रवार, 22 मार्च 2013
गजल
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amit mishra
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तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों
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