भक्ति गजल-1
हम निर्बुद्धि-पापी बैसल कानै छी
पुत्र अहीँके जननी क्षमा माँगै छी
तोहर दुआरि बड भीड़ हे मैया
कखन देब दर्शन आब हारै छी
अष्टभुजा नवरुप जगदम्बिके
दशो दिशा विभूषित अहाँ साजै छी
ममतामयी झट दया-दृष्टि करु
नाव भँवरसँ दुःखियाके उबारै छी
अरहुल फूल आ ललका चुनरी
असुर विनासिनी जगके तारै छी
"सुमित" बालक जुनि ज्ञान हे दुर्गे
चरण बैसिकऽ गीत अहीँके गाबै छी
वर्ण-12
सुमित मिश्र
करियन , समस्तीपुर
हम निर्बुद्धि-पापी बैसल कानै छी
पुत्र अहीँके जननी क्षमा माँगै छी
तोहर दुआरि बड भीड़ हे मैया
कखन देब दर्शन आब हारै छी
अष्टभुजा नवरुप जगदम्बिके
दशो दिशा विभूषित अहाँ साजै छी
ममतामयी झट दया-दृष्टि करु
नाव भँवरसँ दुःखियाके उबारै छी
अरहुल फूल आ ललका चुनरी
असुर विनासिनी जगके तारै छी
"सुमित" बालक जुनि ज्ञान हे दुर्गे
चरण बैसिकऽ गीत अहीँके गाबै छी
वर्ण-12
सुमित मिश्र
करियन , समस्तीपुर
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