लाल रंगक मोहमे फँसलनि हनुमान
ते तँ लाले रंग सन बनलनि हनुमान
पवनपुत्रक नाम के नै जानै एतऽ
सूर्यकें जहियासँ मुँह रखलनि हनुमान
काँपि रहलै राक्षसी सेना रण बीच
प्रेत भूतक काल बनि हँसलनि हनुमान
राम सेवकमे सबसँ आगू हनुमान
सुनि कऽ आज्ञा सिन्धुपर उड़लनि हनुमान
जपब चलिसा शुद्ध मोनसँ सब दिन भोर
"अमित"पर तखनेसँ बड ढरलनि हनुमान
फाइलातुन-फाइलातुन-मफ ऊलातु
2122-2122-2221
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें