सोमवार, 11 मार्च 2013

भक्ति गजल

 

 

सजल दरबार छै जननी
भगत भरमार छै जननी

किओ नै हमर छै संगी
खसल आधार छै जननी

भटकि रहलौं जगत भरिमे
सगर अन्हार छै जननी
भक्ति गजल-3
दुखक सागर बनल छी हम
सड़ल पतवार छै जननी

दबल छी बोझ तऽर मैया
अहींपर भार छै जननी

मफाईलुन
1222 दू बेर सब पाँतिमे
बहरे-हजजभक्ति गजल-3

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तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों