गजल-14
छी दूर मुदा आँखिमे रहू प्रिय
आबि कऽ सपनामे जगबू प्रिय
नै दिन नै राति बुझै मनवाँ
आब विरहक दर्द सहू प्रिय
फागुन मास रंगीन छै दुनियाँ
अहाँ बेरंग किए छी कहू प्रिय
सुन्न लागै अपन घर आँगन
आयब कहिया सेहो लिखू प्रिय
आबि गेल फगुआ कतऽ छी अहाँ
मिसियो भरि रंग लगाबू प्रिय
बाट अहींके बाट तकैत अछि
"सुमित" कहै झटसँ आबू प्रिय
वर्ण-12
सुमित मिश्र
करियन, समस्तीपुर
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बुधवार, 20 मार्च 2013
गजल
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sumit mishra
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तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों
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