भक्ति गजल-2
भाँग खा कोना नशेरी भेलौं अहाँ
भूत सन तन अपन कोना केलौं अहाँ
साँप माला साजि बसहा बुढ़बा लऽ यौ
तीन लोकक नाँप कोना लेलौं अहाँ
विषकें पी नीलकण्ठी छी बनल यौ
होश दैवक उड़ल से जीयेलौं अहाँ
तीन नैनक वाण खा जे जरि जरि मरल
ओकरो सीधे तँ मोक्षे देलौं अहाँ
दानमे आगू अहाँ छी निर्धन बनल
"अमित"कें शिव बिसरि कोना गेलौं अहाँ
फाइलातुन-फाइलातुन-मुस्तफइलुन
2122-2122-2212
बहरे-जदीद
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