हम जँ पीलहुँ शराबी कहलक जमाना
टीस नै दुख करेजक बुझलक जमाना
भटकलहुँ बड्ड
भेटेए नेह मोनक
देख मुँह नै करेजक सुनलक जमाना
लिखल कोना कहब की की अछि कपारक
छल तँ बहुतो मुदा सभ छिनलक जमाना
दोख नै हमर नै ककरो आर कहियौ
देख हारैत हमरा
हँसलक जमाना
दर्द जे भेटलै बूझब नै कनी 'मनु'
आन अनकर कखन दुख जनलक जमाना
(बहरे असम, मात्रा क्रम :
२१२२-१२२२-२१२२)
जगदानन्द झा ‘मनु’
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