गजल-५२
मिथिलोमे रहल नै बास मैथिलीकें
टूटल जा रहल छै आश मैथिलीकें
कहियो मैथिली नै हिचकि-हिचकि कानल
देखू पलटि सभ इतिहास मैथिलीकें
चन्दा अमर यात्री सदति सभ शरणमे
विद्यापति सनक छल दास मैथिलीकें
सभके ठाम देलौं भेल मान सभके
भेटल अछि किए वनवास मैथिलीकें
बाजब-पढ़ब सदिखन मैथिली लिखब हम
जागत "नवल" पुनि विश्वास मैथिलीकें
>मात्रा क्रम : २२२१+२२२१+२१२२
(तिथि: ०५.०२.२०१३)
©पंकज चौधरी "नवलश्री"
मिथिलोमे रहल नै बास मैथिलीकें
टूटल जा रहल छै आश मैथिलीकें
कहियो मैथिली नै हिचकि-हिचकि कानल
देखू पलटि सभ इतिहास मैथिलीकें
चन्दा अमर यात्री सदति सभ शरणमे
विद्यापति सनक छल दास मैथिलीकें
सभके ठाम देलौं भेल मान सभके
भेटल अछि किए वनवास मैथिलीकें
बाजब-पढ़ब सदिखन मैथिली लिखब हम
जागत "नवल" पुनि विश्वास मैथिलीकें
>मात्रा क्रम : २२२१+२२२१+२१२२
(तिथि: ०५.०२.२०१३)
©पंकज चौधरी "नवलश्री"
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