शुक्रवार, 28 जून 2013

गजल

गजल-६०

प्राण टांगल रहत सजना पाती लिखब
नेह बान्हल रहत सजना पाती लिखब

जा क' परदेस जुनि हमरा बिसरब अहाँ
आश लागल रहत सजना पाती लिखब

बाट जोहब अहाँके बनि जोगन पिया
नैन थाकल रहत सजना पाती लिखब

स्वागतक लेल चौकठि ओगरने रहब
हार गांथल रहत सजना पाती लिखब

आंखि काजर सजल केशो गुहने रहब
ठोढ़ रांगल रहत सजना पाती लिखब

दिन अहाँ बिन हमर रहतै रूसल दुखी
राति जागल रहत सजना पाती लिखब

देशमे छी  " नवल "  चाहे परदेसमे
मोन तागल रहत सजना पाती लिखब  

*फाइलातुन+मफाईलुन+मुस्तफइलुन / मात्रा क्रम : २१२२-१२२२-२२१२
(तिथि-२३.०६.२०१३)
©पंकज चौधरी (नवलश्री)

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