गजल-५५
माथसँ घोघ ससरल जाए
चन्ना लाजहि सकुचल जाए
कजरायल नैना मधुशाला
मातल मोन बह्सल जाए
रूपक जालमे ओझराएल
बाट बटोही बिसरल जाए
माथक टिकुली ठोढ़क लाली
देखि अयना चनकल जाए
हाथक चूड़ी कंगना खनकै
सौंस करेजा दरकल जाए
आंखिसँ पीलौं "नवल" नेह जे
सगरो देह पसरल जाए
>आखर-११ (तिथि-२५.०२.२०१३)
©पंकज चौधरी (नवलश्री)
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