गजल-४९
हुनका संग लिअ' बढू आगाँ जे छथि अभियानक पक्षमे
चलू करै छी नव पहल पुनि नव-क्रांतिक उपलक्षमे
नमन करैत छी हुनका जे संग चलथि बनि सहभागी
हुनको भ्रम के दूर करब जे सभ छथि ठाढ़ विपक्षमे
चलू करी अनुपालन हुनकर जे छथि ज्ञानक अगुआ
पछुवाएल छथि जे अज्ञाने तनिको आनब समकक्षमे
कर्मठ छै जे कर्मभूमिमे हारत-जीतत हएत सफल
ओ की जानै मोल एकर जे बस गप छाँटै सूतल कक्षमे
"नवल" नाच नै आबै जकरा तकरा लै सभ अंगने टेढ़
घुरबाक लूरि ने जकरा से त्रुटि तकबे करतै अक्षमें
*आखर-२२ (तिथि-३०.०१.२०१३)
©पंकज चौधरी (नवलश्री)
हुनका संग लिअ' बढू आगाँ जे छथि अभियानक पक्षमे
चलू करै छी नव पहल पुनि नव-क्रांतिक उपलक्षमे
नमन करैत छी हुनका जे संग चलथि बनि सहभागी
हुनको भ्रम के दूर करब जे सभ छथि ठाढ़ विपक्षमे
चलू करी अनुपालन हुनकर जे छथि ज्ञानक अगुआ
पछुवाएल छथि जे अज्ञाने तनिको आनब समकक्षमे
कर्मठ छै जे कर्मभूमिमे हारत-जीतत हएत सफल
ओ की जानै मोल एकर जे बस गप छाँटै सूतल कक्षमे
"नवल" नाच नै आबै जकरा तकरा लै सभ अंगने टेढ़
घुरबाक लूरि ने जकरा से त्रुटि तकबे करतै अक्षमें
*आखर-२२ (तिथि-३०.०१.२०१३)
©पंकज चौधरी (नवलश्री)
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