बाल गजल-२३
दीदी जँ चढ़ि गेल कनहा-गाछी चट द' रूसल कोरा लए
चुल्लरि भेटिते दोसर बहन्ना कानल आब कटोरा लए
झिल्ली-कचरी घिरनी-फुकना बाबू गेलनि हाटसँ आनए
साइकिलक घंटी बजिते दौगल दलान पर झोड़ा लए
बैसल सभ झोड़ा घेरने अपन-अपन अनमाना लेल
जे अनूप से बाँटि क' खेलक बँझि गेल मारि अंगोरा लए
आँगन नीपल अरिपन पाड़ल आइ फेर छै पूजामानी
आसन परमे त' पंडितजी बैसल ओ औनेलै बोरा लए
घड़िघंटा आ शंख बाजि गेल चौरठ आ परसादी भेटतै
"नवल" नञि लेतै एकटा लड्डू मुँह फुलेलक जोड़ा लए
*आखर-२२ (तिथि-१४.०२.२०१३)
©पंकज चौधरी "नवलश्री"
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