शुक्रवार, 28 जून 2013

बाल गजल


बाल गजल-२३

दीदी जँ चढ़ि गेल कनहा-गाछी चट द' रूसल कोरा लए
चुल्लरि भेटिते दोसर बहन्ना कानल आब कटोरा लए 

झिल्ली-कचरी घिरनी-फुकना बाबू गेलनि हाटसँ आनए
साइकिलक घंटी बजिते दौगल दलान पर झोड़ा लए 

बैसल सभ झोड़ा घेरने अपन-अपन अनमाना लेल 
जे अनूप से बाँटि क' खेलक बँझि गेल मारि अंगोरा लए         
    
आँगन नीपल अरिपन पाड़ल आइ फेर छै पूजामानी 
आसन परमे त' पंडितजी बैसल ओ औनेलै बोरा लए 

घड़िघंटा आ शंख बाजि गेल चौरठ आ परसादी भेटतै 
"नवल" नञि लेतै एकटा लड्डू मुँह फुलेलक जोड़ा लए           

*आखर-२२ (तिथि-१४.०२.२०१३)
©पंकज चौधरी "नवलश्री" 

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तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों