प्रस्तुत अछि योगानंद हीरा जीक ई गजल--
हमरहुँ घरमे आयल पाहुन
घर आँगनमे छायल पाहुन
जिनकर खातिर आँखिक पुतरी
छल पथरायल आयल पाहुन
अँगना गमकल कंगना खनकल
घर आयल चोटायल पाहुन
मेना बाजल सुगना नाचल
दीदीकेँ भरमायल पाहुन
कनखी मारै पोसा पिल्ला
देशी मुरगी खायल पाहुन
हीरा जे छल दुबकल घरमे
तरहथपर चमकायल पाहुन
सभ पाँतिमे आठटा दीर्घक प्रयोग अछि।
हमरहुँ घरमे आयल पाहुन
घर आँगनमे छायल पाहुन
जिनकर खातिर आँखिक पुतरी
छल पथरायल आयल पाहुन
अँगना गमकल कंगना खनकल
घर आयल चोटायल पाहुन
मेना बाजल सुगना नाचल
दीदीकेँ भरमायल पाहुन
कनखी मारै पोसा पिल्ला
देशी मुरगी खायल पाहुन
हीरा जे छल दुबकल घरमे
तरहथपर चमकायल पाहुन
सभ पाँतिमे आठटा दीर्घक प्रयोग अछि।
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