गुरुवार, 20 मार्च 2014

गजल

अपना से किया भागि रहल छी    
भरि भरि राति जे जागि रहल छी  

बदलू सोच आचार विचारो
पुरना मत किया तागि रहल छी

बदलल लोक आ युग बदलल .छै
बीतल बात के पागि रहल छी

छुटि जायब अहां एकसर कतौ    
अपने प्राण जे दागि रहल छी

२२२१२ २११२ २

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तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों