ऐ बेरुक होली ऐ आशाक संग जे साहित्य अकादेमी सुधरत आ दलित ओ वंचित वर्गक लेखक सभकेँ आगू बढ़ाएत।
तोहर केश अन्हरिया राति
सौंसे देश अन्हरिया राति
दिन भरि घूस तैपर लाजक तँ
नै छै लेश अन्हरिया राति
हुनकर रूप छै भोरक रौद
लागै बेश अन्हरिया राति
तोरा संगमे रहने हमर
भागै क्लेश अन्हरिया राति
कूदै खूब आ फानै खूब
लागै ठेस अन्हरिया राति
सभपाँतिमे 2221 + 2 + 2221 मात्राक्रम अछि।
तोहर केश अन्हरिया राति
सौंसे देश अन्हरिया राति
दिन भरि घूस तैपर लाजक तँ
नै छै लेश अन्हरिया राति
हुनकर रूप छै भोरक रौद
लागै बेश अन्हरिया राति
तोरा संगमे रहने हमर
भागै क्लेश अन्हरिया राति
कूदै खूब आ फानै खूब
लागै ठेस अन्हरिया राति
सभपाँतिमे 2221 + 2 + 2221 मात्राक्रम अछि।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें