मंगलवार, 11 मार्च 2014

गजल

प्रस्तुत अछि योगानंद हीराजीक ई गजल--

रहू कमल सन सदा सुवासित
बनू मनोहर हवा सुवासित

उड़ै भमर चहुँ दिशा सुनाबै
हमर हुनक ई कथा सुवासित

दुखक झमारल हँसी लुटाबै
अलख जगाबै धरा सुवासित

किनक कने घोघ उठि रहल अछि
हवा करै अंगना सुवासित

चढ़ल गुलाबी निसा कमल सन
भरम हमर कंगना सुवासित

चलू बढ़ू सबजना निमंत्रण
बनी कुसुम हम मुदा सुवासित

सभ पाँतिमे 12+122+12+122मात्राक्रम अछि

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तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों