प्रस्तुत अछि योगानंद हीराजीक ई गजल--
रहू कमल सन सदा सुवासित
बनू मनोहर हवा सुवासित
उड़ै भमर चहुँ दिशा सुनाबै
हमर हुनक ई कथा सुवासित
दुखक झमारल हँसी लुटाबै
अलख जगाबै धरा सुवासित
किनक कने घोघ उठि रहल अछि
हवा करै अंगना सुवासित
चढ़ल गुलाबी निसा कमल सन
भरम हमर कंगना सुवासित
चलू बढ़ू सबजना निमंत्रण
बनी कुसुम हम मुदा सुवासित
सभ पाँतिमे 12+122+12+122मात्राक्रम अछि
रहू कमल सन सदा सुवासित
बनू मनोहर हवा सुवासित
उड़ै भमर चहुँ दिशा सुनाबै
हमर हुनक ई कथा सुवासित
दुखक झमारल हँसी लुटाबै
अलख जगाबै धरा सुवासित
किनक कने घोघ उठि रहल अछि
हवा करै अंगना सुवासित
चढ़ल गुलाबी निसा कमल सन
भरम हमर कंगना सुवासित
चलू बढ़ू सबजना निमंत्रण
बनी कुसुम हम मुदा सुवासित
सभ पाँतिमे 12+122+12+122मात्राक्रम अछि
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