प्रस्तुत अछि जगदीश चंद्र ठाकुर "अनिल"जीक ई गजल---
दूभि और धान छी अहाँ
पान आ मखान छी अहाँ
दौड़ि दौड़ि थाकि गेल छी
दूर आसमान छी अहाँ
बेर बेर गाबि देखलौं
वेद आ कुरान छी अहाँ
काँट भरल छैक बाटपर
फूलके समान छी अहाँ
मोन केर प्रश्न अछि कते
एकटा निदान छी अहाँ
मात्रा क्रम २१२१२१ २१२
दूभि और धान छी अहाँ
पान आ मखान छी अहाँ
दौड़ि दौड़ि थाकि गेल छी
दूर आसमान छी अहाँ
बेर बेर गाबि देखलौं
वेद आ कुरान छी अहाँ
काँट भरल छैक बाटपर
फूलके समान छी अहाँ
मोन केर प्रश्न अछि कते
एकटा निदान छी अहाँ
मात्रा क्रम २१२१२१ २१२
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