गुरुवार, 7 जुलाई 2011

गजल

जीवनक जे अगिन-पथ के पार एताह

जीजिविषा मे से अजित,आजाद हेताह


बूड़ि,जे निष्ठाकेँ सदिखन मोन रखताह

सियासी खेल मे बरबाद हेताह


माथ अछि जिनकर सिंहासन के चरण पर

आम-जन के माटि मे ओ खाद हेताह


ओ वैधानिक अनुकम्पा के प्रावधानसँ

मूल भए सकलाह नहि,अनुवाद हेताह


अछि हुनक निर्माण मे कोनो खराबी

उच्छिष्ट छथि ओ,तेँ कोना उत्पाद हेताह


धन्य!’अरबिनतों एलह मैथिल गजलमे

फेर केओ खुसरो की तोहर बाद हेताह

8 टिप्‍पणियां:

  1. अपन चेला -चपाटी आ अपन प्रशंशा कहिया धरि करबै, अरविन्द जी

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  2. अरविन्दजी ई गजल छीहे नै, मात्रिक छन्दक हिसाबे लिअ आकि वार्णिक छन्दक हिसाबे; ई दोहा सभ कोनो बहरमे नै अछि.. खुसरोक गप तं तखन आएत जखन अहां गजल लिखब सीखि जाएब..मैथिली वा कोनो भाषामे गजल लिखबा लेल जै धैर्य आ बहर (छन्दक) ज्ञानक आवश्यकत होइ छै, से गजलकें गजल बनबै छै, क्पया गजलपर आलेख पढू- अही ब्ळोगपर http://anchinharakharkolkata.blogspot.com/p/blog-page.html लि‍कपर, फेर आत्म-प्रशंसा वा अनकर प्रश‍ंसा करू, ...

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  3. Mohan Chaudhary7/08/2011 3:39 pm

    मैथिली गजलक खुसरो दू पाँती बहर (छन्द)मे नै लिख पबै छथि???

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  4. बेनामी7/08/2011 5:44 pm

    arvind ji , jahiya san ham ehi blog par gazal padhanlu o kono ne kone bahar me chal, muda anhak gazal be-bahr achi, kripya apan gazal ke sudharu.

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  5. ओह... !

    हम तए सुनने छलियैक जे गज़ल बिना बहर-रदीफ़ कें सेहो भ’ सकैत छैक।

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  6. गजल कोनो ने कोनो बहर (छन्द) मे हेबाक चाही। वार्णिक छन्दमे सेहो ह्रस्व आ दीर्घक विचार राखल जा सकैत अछि, कारण वैदिक वर्णवृत्तमे बादमे वार्णिक छन्दमे ई विचार शुरू भऽ गेल छल:- जेना
    तकैत रहैत छी ऐ मेघ दिस
    तकैत (ह्रस्व+दीर्घ+दीर्घ)- वर्णक संख्या-तीन
    रहैत (ह्रस्व+दीर्घ+ह्रस्व)- वर्णक संख्या-तीन
    छी (दीर्घ) वर्णक संख्या-एक
    ऐ (दीर्घ) वर्णक संख्या-एक
    मेघ (दीर्घ+ह्रस्व) वर्णक संख्या-दू
    दिस (ह्रस्व+ह्रस्व) वर्णक संख्या-दू

    मात्रिक छन्दमे द्विकल, त्रिकल, चतुष्कल, पञ्चकल आ षटकल अन्तर्गत एक वर्ण (एकटा दीर्घ) सँ छह वर्ण (छहटा ह्रस्व) धरि भऽ सकैए।
    द्विकलमे- कुल मात्रा दू हएत, से एकटा दीर्घ वा दूटा ह्रस्व हएत।
    त्रिकलमे कुल मात्रा तीन हएत- ह्रस्व+दीर्घ, दीर्घ+ह्रस्व आ ह्रस्व+ह्रस्व+ह्रस्व; ऐ तीन क्रममे।
    चतुष्कलमे कुल मात्रा चारि; पञ्चकलमे पाँच; षटकलमे छह मात्रा हएत।
    वार्णिक छन्द तीन-तीन वर्णक आठ प्रकारक होइत अछि जे “यमाताराजसलगम्” सूत्रसँ मोन राखि सकै छी।
    आब कतेक पाद आ कतऽ काफिया (यति,अन्त्यानुप्रास) देबाक अछि; कोन तरहेँ क्रम बनेबाक अछि से अहाँ स्वयं वार्णिक/ मात्रिक आधारपर कऽ सकै छी, आ विविधता आनि सकै छी।
    14 hours ago · Like · 3 people
    Gajendra Thakur हाइकूसँ विपरीत रुबाइमे वार्णिक नै मात्रिक गणना होएत (गजलमे मुदा दुनू विकल्प उपलब्ध छै): 20 वा 21 मात्रा सभ पाँतीमे हेबाक चाही आ गणना होएत- देखलों जे अहाँ के रूप गोरी(2+1+2/ 2/ 1+2/ 2/ 2+1/ 2+2= 19 एतए 2 मात्रा पहिल पाँती मे कम अछि. संगे पहिल शब्द दीर्घ-दीर्घ-दीर्घ सँ वा २.दीर्घ-दीर्घ-ह्रस्व सँ शुरू हेबाक चाही, सभ पाँती मे- अलग-अलग क्रम भ' सकैए मुदा 21 मात्रा आ प्रारम्भ दीर्घ-दीर्घ-दीर्घ सँ वा २.दीर्घ-दीर्घ-ह्रस्व सँ हेबाक चाही...
    मुदा हाइकू लेल बिना कम्प्लेक्सिटीबला वार्णिक छन्दक मैथिलीमे प्रयोग करू जेना अहाँ क' रहल छी..
    वार्णिक दृष्टिसँ गणना आ मात्रिक दृष्टिसँ गणना: तकैत= 1+2+1 ( एतए तीनटा वर्ण अछि त, कै, त जतए पहिल ह्रस्व , दोसर दीर्घ आ तेसर ह्रस्व अछि).. ई भेल वार्णिक दृष्टिसँ, मात्रिक दृष्टिसँ मुदा तकैत= ह्रस्व+दीर्घ+ह्रस्व= 4 मात्राक वर्ण ह्रस्व-दीर्घ-ह्रस्वक क्रममे...
    14 hours ago · Like · 3 people
    Gajendra Thakur मैथिली गजल सेहो अनिवार्य रूपमे बहर(छन्द)मे सरल-वार्णिक, वार्णिक आ मात्रिक छन्दमे कहल जएबाक चाही।जेना सोरठा, चौपाइ छै तहिना गजल छै..उर्दूमे ऐ तरहक प्रयास भेलै..आजाद गजलक नामसँ..), कहबाक आवश्यकता नै जे ओ पूर्ण रूपेँ फ्लॉप भऽ गेलै..५३९ ई.सँ अरबीमे बहर युक्त गजल आइ धरि लिखल जा रहल छै, फारसी आ उर्दूमे सेहो बिना बहरक गजल नै होइ छै..गजलमे भगवान धरिक मजाक उड़ाओल जाइत छै, ओइ अर्थमे ओ उदार छै मुदा बहरक मामिलामे ओ बड्ड कट्टर छै, आ ई कट्टरता ने अरबीमे गजलकेँखम केलकै आ ने उर्दूफारसीमे, मात्रा मिलान आ सहज प्रवाह गजलमे एकटा रीतियेँ होइ छै, आ से ओकर विशेषता छिऐ, नै तँ फेर ई नज्म भऽ जेतै..
    14 hours ago · Like · 3 people
    Gajendra Thakur हाइकू सन 5/7/5 सिलेबलक होइ छै। जापानी सिलेबल आ भारतीय वार्णिक छन्द मेल खाइ छै से 5/7/5 सिलेबल भेल 5/7/5 वर्ण / अक्षर। संस्कृतमे 17 सिलेबलक वार्णिक छन्द जइमे 17 वर्ण होइ छै, अछि- शिखरिणी, वंशपत्रपतितम, मन्दाक्रांता, हरिणी, हारिणी, नरदत्तकम्, कोकिलकम् आ भाराक्रांता। तैँ 17 सिलेबल लेल 17 वर्ण/ अक्षर लेलहुँ अछि, जे जापानी सिलेबल (ओंजी)क लग अछि। अंग्रेजी मे जखन हाइकू लेखन शुरू भेलै तखन ओ लोकनि ५/७/५ सिलेबलमे लिखए लगलाह मुदा फेर जल्दीये हुनका सभकें पता लागि गेलन्हि जे अ‍ंग्रेजी सिलेबलमे ५/७/५ सिलेबलमे बड बेसी अल्फाबेट आबि जाइ छै से आब ओतौ कम अल्फाबेटमे हाइकू लिखबाक प्रयास भेलै..मुदा हमरा लग वार्णिक छन्द, जइमे अलफाबेट आ सिलेबलक मिलानी अछि, क परम्परा उपलब्ध अछि से तकर प्रयोग उचित/ रुबाइ लेल सरल वार्णिक छन्दक प्रयोग समभव नै कारण ओ दीर्घ-दीर्घ-दीर्घ सँ वा २.दीर्घ-दीर्घ-ह्रस्व सँ शुरू होइ छै..

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  7. Arvind Ranjan Das जी ठीके लिखै छथि जे -ग़ज़ल- अग़ज़लक विवाद हिन्दियो म बहुत दिन धरि रहल. हाल ई भ गेल कि देवनागरी लिपि में नुक्ता क प्रयोग आरम्भ भ गेल- मुदा ई ऐ कारणसँ भेल जे हिन्दीक गजलशास्त्र उर्दू गजलशास्त्र फारसी लिपिसँ देवनागरी लिपिमे लिप्यंतरण अछि, आ से किछु सीमा धरि सही सेहो छै, कारण ई दुनू भाषा वोकाबुलेरी मात्र मे किछु भिन्नता रखैए, मोटा-मोटी दुनू एक्के भाषा नै..से हिन्दी गजल शास्त्र लिखबा मे शॉर्ट-कट लेल गेल..बहर छन्दक अनुसार नै मिलाओल गेल..उर्दू बहर वोकाबुलेरीक प्रयोगसँ ग़ज़लक तयशुदा बहरभ’ गेल तखन नुक्ताक प्रयोग तँ हेबे करत..ओहुना ढ़ / ड़/ आ चन्द्रबिन्दु संस्कृतमे नै छै, मुदा मैथिलीमेखूब छै, ईे तीनू एक तरहेँ नुक्ताक रू प छिऐ ..
    14 hours ago · Like · 3 people
    Gajendra Thakur आब उर्दू गजलपर आबी। १८९३ ई.मे हाली मुकद्दमा-ए-शेर-ओ-शायरी लिखलन्हि जे हुनकर काव्य-संग्रहक भूमिका छल। ओहि समए धरि उर्दू गजलक विषय आ रूप दुनू मृतप्राय छल से हाली विषय-परिवर्तनक आह्वान तँ केबे कएलन्हि संगहि काफिया आ रदीफक सरल स्वरूपक ओकालति कएलन्हि। ओ लिखै छथि जे एकाधे टा शेर आइ-काल्हि नीक रहैए आ शेष गजल फारसीक शब्द सभसँ भरि देल गेल शेरक संकलन भऽ जाइए जाहिसँ ओकर स्तरहीनतापर लोकक ध्यान नञि जाए। से उर्दू गजल धार्मिक कट्टरतापर व्यंग्यक क्षेत्रमे फारसी गजलसँ आगाँ बढ़ि गेल।
    14 hours ago · Like · 3 people
    Gajendra Thakur जापानी ओंजी क अनुवाद अंग्रेजीमे सिलेबल आ मैथिलीमे "वार्णिक छन्द" भेल , मुदा अंग्रेजीक सिलेबल सही अनुवाद नै भेल कारण ओइमे अल्फाबेट बेसी आबि गेल, तहिना बहरक अनुवाद गजलक सन्दर्भमे सरल वार्णिक/ वार्णिक आ मात्रिक छन्द भेल मुदा रुबाइक सन्दर्भमे मात्र वार्णिक (सरल वार्णिक छोड़ि कऽ) आ मात्रिक छन्द.. Gautam Rajrishi लेल http://anchinharakharkolka​ta.blogspot.com/p/blog-pag​e.html मैथिली गजलशास्त्र- १-१३ /
    अनचिन्हार आखर: मैथिली गजल शास्त्र आलेख
    anchinharakharkolkata.blogspot​.com
    कोलकाता सँ प्रकाशित मैथिलीक पहिल ब्लाग- A BLOG OF MAITHILI GHAZAL & SHER-O-SHAYRI
    14 hours ago · Unlike · 4 people ·
    Gajendra Thakur वर्णवृत्त भुजंगप्रयात : प्रति चरण यगण (U।।) – चारि बेर आ बहरे मुतकारिब मुतकारिब आठ–रुक्न/ वर्ण वृत्त सोमराजी यगण (U।।) – दू बेर। छह वर्ण आ बहरे मुतकारिब चारि–रुक्न फ ऊ लुन (U।।) – दू बेर - ई दुनू तँ सिद्ध करैत अछि जे बहर माने भेल गजलक सन्दर्भमे सरल वार्णिक/ वार्णिक आ मात्रिक छन्द..सादर..

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  8. दूटा काफियाक बीचमे सेहो रदीफ रहि सकैए, काफियाक भीतरमे सेहो रदीफ रहि सकैए; रदीफ ऐ तरहेँ अनुपस्थितसँ लऽ कऽ मात्रा, एक शब्द, शब्दक समूह वा वाक्य भऽ सकैत अछि जे अपरिवर्तित रहत। मुदा काफिया युक्त शब्द गजलमे बदलैत रहत।मैथिली व्याकरणक दृष्टिसँ अपरिवर्तित मात्रा वा अपूर्ण शब्द सेहो रदीफ अछि, ....मुदा अनुपस्थितसँ लऽ कऽ अपरिवर्तित मात्रा वा अपरिवर्तित अपूर्ण शब्दकेँ बिना रदीफक गजल सेहो कहि सकै छिऐ, कारण ई काफियाक मूल विशेषता छिऐ (अपरिवर्तित मात्रा वा अपरिवर्तित अपूर्ण शब्द) ..आ जँ शब्द वा शब्दक अपरिवर्तित समूह दृष्टिसँ देखी तँ एतए रदीफ अनुपस्थित अछि ...ओना रदीफ अनुपस्थित सेहो रहि सकैए, शास्त्रीय दृष्टिसँ कोनो दिक्कत नै अछि.. कविता, कविता, गद्य-कविता, पद्य सभ लेल तर्क उपलब्ध अछि। कविता, अकविता, गद्य-कविता, पद्य सभ लेल तर्क उपलब्ध अछि। से मैथिली गजल सेहो अनिवार्य रूपमे बहर(छन्द)मे सरल-वार्णिक, वार्णिक आ मात्रिक छन्दमे कहल जएबाक चाही।जेना सोरठा, चौपाइ छै तहिना गजल छै..उर्दूमे ऐ तरहक प्रयास भेलै..आजाद गजलक नामसँ..), कहबाक आवश्यकता नै जे ओ पूर्ण रूपेँ फ्लॉप भऽ गेलै..५३९ ई.सँ अरबीमे बहर युक्त गजल आइ धरि लिखल जा रहल छै, फारसी आ उर्दूमे सेहो बिना बहरक गजल नै होइ छै..गजलमे भगवान धरिक मजाक उड़ाओल जाइत छै, ओइ अर्थमे ओ उदार छै मुदा बहरक मामिलामे ओ बड्ड कट्टर छै, आ ई कट्टरता ने अरबीमे गजलकेँखम केलकै आ ने उर्दूफारसीमे, मात्रा मिलान आ सहज प्रवाह गजलमे एकटा रीतियेँ होइ छै, आ से ओकर विशेषता छिऐ, नै तँ फेर ई नज्म भऽ जेतै..

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तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों