अनचिन्हार आखर
A Research Blog On Maithili Ghazal & Sher-o- Shayari
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शेर जे सभ दिन शेर रहतै
शुक्रवार, 8 जुलाई 2011
रुबाइ
पिहकारी पड़लै हुनक आँचर उड़ने
सिसकारी छुटलै हुनक आँचर उड़ने
सुन्दरो मनुख नङटे खराप लगैए
महकारी लगलै हुनक आँचर उड़ने
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