जीबन मे दर्दक सनेश शेष कुशल अछि
हम नहि कहब विशेष शेष कुशल अछि
अन्हरे सरकार तँ चला रहल राज-काज
की कहू, छै बौकक इ देश शेष कुशल अछि
देहे टा बदलैए आत्मा नहि सूनि लिअ अहाँ
एहने सरकारक भेष शेष कुशल अछि
मुक्का आ थापड़क उपयोग के करत आब
खाली आँखिए लाल-टरेस शेष कुशल अछि
गजल कहब एतेक सोंझ नै अनचिन्हार
हम तँ आब चलै छी बेस शेष कुशल अछि
**** वर्ण---------17*******
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