सोमवार, 11 जुलाई 2011

गजल

मालक खातिर तँ माल-जाल बनल लोक

देखाँउसक खातिर कंगाल बनल लोक


भूखक दर्द होइत छैक प्रकाशो सँ तेज

देखू पेटक खातिर दलाल बनल लोक


वृत तँ टूटल मिलल समानांतर रेखा

देखू बिनु कागजीक प्रकाल बनल लोक


सत्त-सत्त ने रहल ने रहल फूसि-फूसि

अपने लेल अपने जंजाल बनल लोक


उपर सँ गंगा घाट भीतर मोकामा घाट

एतए नुनिआएल देबाल बनल लोक




**** वर्ण---------16*****

1 टिप्पणी:

तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों