अहाँ सभ पूछि सकैत छी जे गजल आ शेर-ओ-शाइरीक ब्लाग पर छंदक वर्णन किएक ? मुदा इ प्रश्न खाली मैथिलीए सन भाषा मे उठि सकैत अछि। जाहि भाषाक खुसरो आ गालिब सभ बिना छंदक गजल लिखैत होथि ओहि भाषा मे इ प्रश्न उठब स्वाभाविक अछि। मुदा जेना की हमरा लोकनि आब बुझि रहल छी जे गजल आ ओकर अन्य विधा बिना बहर ( छंद) के नहि लिखल जा सकैए । आ मैथिली गजलक प्रारंभिक बहरक विस्तृत अध्य्यन आ विशलेषण गजेन्द्र ठाकुर द्वारा " मैथिली गजल शास्त्र" आ हमरे द्वारा "गजलक संक्षिप्त परिचय"मे देल गेल अछि /देल जा रहल अछि। आ ओहि बहर सभ पर अमल नवपीढ़ीक गजलगो ( सुनील कु. झा, रोशन झा-नेपाल) आदि द्वारा भए रहल अछि। मुदा हमरा विचारें अरबी काव्यशास्त्र आ संस्कृतकाव्य शास्त्र मे बहुत समानता छैक। आ एही समता विषमताक अध्ययन एहि पृष्ठक माध्यमें कएल जाएत संगहि-संग हमरा लोकनि वेस्टर्न पोयटिक सेहो देबाक प्रयास मे छी। अर्थात पूर्व-मध्य आ पश्चिम तीनू एहि ब्लाग पर एकाकार हएत। ज्ञानक एहि पवित्र त्रिवेणीमे चुभकबाक लेल अहाँ सभ सादर आमंत्रित छी।
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बुधवार, 27 जुलाई 2011
छंदक जरुरति
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