मंगलवार, 12 जुलाई 2011

गजल

चुप्प रहत मनुख गिद्दर भुकबे करतैक

निर्जीव तुलसी चौरा कुकुर मुतबे करतैक


जँ केकरो वीरता सीमित रहि जाए गप्प धरि

तँ दुश्मनक लात छाती पर पड़बे करतैक


विद्रोह आ अधिकार के अधलाह के बुझनिहार

आइ ने काल्हि अपटी खेत मे मरबे करतैक


बसात पर बसात दैत रहू क्रांतिक आगि के

नहुँए-नहुँ सही कहिओ धुधुएबे करतैक


लिखैत रहिऔ विद्रोहक गजल अनचिन्हार

कहिओ तँ केओ ने केओ एकरा गेबे करतैक








**** वर्ण---------18*******

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तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों