गुरुवार, 14 जुलाई 2011

गजल

मछगिद्ध जँ माछ छोड़ए तँ डर मानबाक चाही

आदमी जँ नेता भए जाए तँ डर मानबाक चाही


बेसबा खाली देहे टा बेचैत छैक अभिमान नहि

लोक अस्वभिमानी हुअए तँ डर मानबाक चाही


सभ के छै बूझल शेर केखनो नहि खाएत घास

जँ बीर अँहिंसक बनए तँ डर मानबाक चाही


सीमा केर रक्षा करैत जे मरथि सएह बिजेता

माए बेचि जँ रण जितए तँ डर मानबाक चाही


सम्मानक रक्षा करब उद्येश्य अछि गजल केर

जँ ओकर उद्येश्य बिझाए तँ डर मानबाक चाही






**** वर्ण---------19*******

1 टिप्पणी:

तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों