प्रेमिक नोर छै गजल
प्रेमक शोर छै गजल
भगवानक चर्च कखनो
कखनो प्रीतमक ठोर छै गजल
बसातक कादो नहि बुझू
सावनक मोर छै गजल
तुकबंदी जौ सही बइठा
तखैन चितचोर छै गजल
आन भाषा में जे कहियौ
मैथिली में माछक झोर छै गज़ल
रस-रूप श्रद्धा औ समर्पण
देखू सबहक घोर छै गजल
समाजक सभ रूढ़ी केर
बुझियौ त तोड़ छै गज़ल
बान्है छि त बान्हू "रौशन"
मुदा सागरक छोर छै गजल
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