सोमवार, 2 जनवरी 2012

गजल

ने भूत लिखू, ने भबिष्य लिखू, चलु आब हाँ र्तमान लिखू
असगर नै
, सभ संग लू, करब अहाँ नव निर्माण लिखू

कि भेल
, औ भेल कि, कयलक के जर्जर, आब बिसारि दियौ
जाहि पर सन्तती गर्व करय
, लौटेबै अती क मान लिखू

ने बाट जाम
, ने मगज जाम, आब नै, ना, नुकुर बिसारि दियौ
उमंग भरु
, तरंग भरु ,आब चलतै नव अभियान लिखू

बिश्वा
राखू इच्छा क्तिपर, चलु दंभ अहं केँ बिसारि दियौ
अगडा पिछडा कि होइछै यौ
, लेब सभ मैथिल क साथ लिखू

बिचार रखियौ स्पष्ट
, जखैन राज भेटत, तँ प्रारुप केहन?
दुर करु शंका
केँ अहाँ, राखब सम-भाव, देब सम्मान लिखू

गान्धीगिरी चलु
पुरान भेल, अन्ना क जोर तs मनबै ने अहाँ
ने रक्त बहै
, ने नोर झरै, ने हेतै किन्हको अपमान लिखू

एफडिआई सँ खतरा कि
? सहकारीता पर चलु ध्यान दियौ
सबल हेतै अर्थतंत्र
, अही सत्य केँ करब आत्मसात लिखू

प्रतिभा पलायन कि
? नव अवसर क चलू सृजन करु
नव सोच लाउ
, कि लौटैथ सभ ,लगबैथ माटि क माथ लिखू

पाथर पथ पर प्रचंड
अछि, डगर मानलौं उटंङ अछि
सागर बान्हि सकै
छी अहाँ, नव तिहासक शुरुत लिखू

तन सँ
, मन सँ, अहाँ प्रन्न रहू, स्वस्थ स्पर्धा मे भेद नै होय
बढु आगाँ
, शुभ-कामना अछि, नव बर्ष सँ नव प्रभात लिखू

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तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों