शनिवार, 21 जनवरी 2012

नात

इस्लाममे कुरानक बाद सभसँ पवित्र काव्य रूप छै इ नात



तँ प्रेमसँ कहू सुभानअल्लाह

मिथिलाकेँ बना देबै मदीना हम
दुनियाँकेँ देखा देबै मदीना हम


पापी-नरकी सभहँक स्वागत छै
सभकेँ तँ घुमा देबै मदीना हम


पहिने जोड़ू सए कमलकेँ
तैमे जोड़ू हजार गुलाब
तकरा बाद जे बनि जाएत
से निशानी हएत प्यारकेँ
डेगे-डेग बसा देबै मदीना हम

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तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों