निर्धन जानि कऽ छोरि गेलहुँ
माँ
कोन अपराध हम केलहुँ माँ
केहनो छी तँ
हम पुत्र अहींकेँ
सभ सनेश अहींसँ पेलहुँ माँ
मूल्यक तराजुमे नै एना जोखू
ममताकेँ पियासल भेलहुँ माँ
दर-दर भटकि खाक छनै छी
दर्शन अपन नै दखेलहुँ माँ
‘मनु’केँ अपन सिनेह नै देलहुँ
सोंझाँ सँ दूर आब भगेलहुँ माँ
(सरल वार्णिक बहर, वर्ण-१२)
जगदानन्द झा ‘मनु’
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