प्रस्तुत अछि स्वाती लाल जीक इ गजल
चिर हरण देखैत रहलौं बैसल रहलौं भs लाचार
घोघ काढि सभ बात मानि हम तै मे करबै गर्व अहां
नारी शिक्षा के बात उठल जौं त अहां भडब फूफकार
घर अफिस काज करु हम छटबै छुच्छे कि गप्प अहां
अहां के बात सँ ज्ञान लिएै हम कहलहुँ त मिथ्याचार
बाट चौबटिया जत्तै देखू आदर्श के छि प्रतिरुप अहां
स्त्री जाती सँ धर्म अपेक्षित कर्म करै त होय प्रहार
कहब हम सुनू ध्यान सँ हम्मर गप्प आई अहां
तोडू निंद भोर भेलै दियौ बराबर के दर्जा सरकार I
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