अहांक संगही रहब हम जन्म जन्म तक
पिया अहां विनु कोना दिल धरकतै हमर
रस भरल अंग अंगमें चढ़ल जोवनके
रसपान विनु कोना दिल चहकतै हमर
नीसा लागल अछि बलम हमरो मिलनके
अहां विनु कोना प्रेमनीसा उतरतै हमर
जे नीसा अहांक अधरमें ओ मदिरा में कहाँ
फेर पिने विनु कोना नीसा उतरतै हमर
पिया पीब लिय पिला दिय जोवन रस जाम
पी विनु ठोरक प्याला कोना छलकतै हमर
...............वर्ण-१७ ............
रचनाकार:-प्रभात राय भट्ट
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