शुक्रवार, 20 जनवरी 2012

गजल

जिनगी कें अखबार बनौने बैसल छी
हम घरकें बाजार बनौने बैसल छी।


श्रद्धा,ममता,स्नेह,प्रेम,आनंद कतय ?
हम सबकें ऐंठार बनौने बैसल छी।


सोझां केर संसारकें माया कहैछी हम
हम मायाकें संसार बनौने बैसल छी।


ईष्या,चिन्ता,क्रोध मनुक्खक दुश्मन थिक
हम सबकें परिबार बनौने बैसल छी।


गांधी जितलनि दुनिया सत्य, अहिंसासं.
प्रेमकें हम व्यापार बनौने बैसल छी ।


थिक विवाह दू अन्तरात्माकेर मिलन
हम जातिक ओहार लगौने बैसल छी ।


जीवनक सब दुख हरती शिक्षा मैया
हम मूर्तिक अंबार लगौने बैसल छी ।


अछि विधान तं भ्रष्टाचार सं लडबालेऽ
हम सबकें लाचार बनौने बैसल छी।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों