जिनगी कें अखबार बनौने बैसल छी
हम घरकें बाजार बनौने बैसल छी।
श्रद्धा,ममता,स्नेह,प्रेम,आनंद कतय ?
हम सबकें ऐंठार बनौने बैसल छी।
सोझां केर संसारकें माया कहैछी हम
हम मायाकें संसार बनौने बैसल छी।
ईष्या,चिन्ता,क्रोध मनुक्खक दुश्मन थिक
हम सबकें परिबार बनौने बैसल छी।
गांधी जितलनि दुनिया सत्य, अहिंसासं.
प्रेमकें हम व्यापार बनौने बैसल छी ।
थिक विवाह दू अन्तरात्माकेर मिलन
हम जातिक ओहार लगौने बैसल छी ।
जीवनक सब दुख हरती शिक्षा मैया
हम मूर्तिक अंबार लगौने बैसल छी ।
अछि विधान तं भ्रष्टाचार सं लडबालेऽ
हम सबकें लाचार बनौने बैसल छी।
- मुखपृष्ठ
- अनचिन्हार आखरक परिचय
- गजल शास्त्र आलेख
- हिंदी फिल्मी गीतमे बहर
- भजनपर गजलक प्रभाव
- अन्य भारतीय भाषाक गजलमे बहर
- समीक्षा/आलोचना/समालोचना
- गजल सम्मान
- गजलकार परिचय शृखंला
- गजलसँ संबंधित आडियो/वीडियो
- विश्व गजलकार परिचय शृखंला
- छंद शास्त्र
- कापीराइट सूचना
- अपने एना अपने मूँह
- गजलक इस्कूल
- गजलकार
- अर्चा-चर्चा-परिचर्चा
- आन-लाइन मोशायरा
- आशीष अनचिन्हारक रचना संसार
- मैथिली गजलसँ संबंधित आन लिंक, पन्ना ओ सामग्री
- Maithili Ghazal Books Download
- शेर जे सभ दिन शेर रहतै
शुक्रवार, 20 जनवरी 2012
गजल
खोजबीनक कूट-शब्द:
गजल,
jagdishchandra thakur 'Anil'
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें