कोना के करियौ हम चेहरा तोहर दीदार गे छौंड़ी
कामरूप के कय वरण एतेक इतराईत छे़ तू
ठुमकि ठुमकि जाइ छे कतय तोहर अभिसार गे छौंड़ी
वसंत ऋतु मे भेल वासन्ती गमकैत तोहर काया
इन्द्र देव के मोहित कय के गबै छे मल्हार गे छौंड़ी
सर्वस्व लुटेलौ तोरा पर अप्पन किछु नहि बांचल
आस तकबौ जिनगी भरि नै कर तू इन्कार गे छौंड़ी
रुक्मणी देखल रंभा देखल देखल शहर क छौंड़ी
पासंगो भरि नहि छौ कोई आई एहि संसार गे छौंड़ी
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