विरह हमर सताएत अहाँके,
इ बात बादमे बुझाएत अहाँके
ठुकरेलौ कियाक पिआर हुनक,
गलती कएल सुझाएत अहाँके
जहिना हमर इ प्रीत मिझाएल,
करेज कियो झरकाएत अहाँके
मधुकुसुम बनि एना नहि घूमूँ,
भमर बहुते सताएत अहाँके
हाथ धरै लेल बहुते छैथ ठाढ़,
"रौशन" इ सित सजाएत अहाँके
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