प्रस्तुत अछि इरा मल्लिक जीक इ गजल
गजब तोहर रूप गजब तोहर सिँगार गे छौँरी,
तैपर तिरछी नजरिया मारै सौ सौ कटार गे छौँरी।
एहन बालि छौ उमिरिया कोना लचकै छौ कमरिया,
एना चलभि बीच बजरिया मरतै सँसार गै छौँरी।
छौ ठोर गुलाबी बसँती तोहर गाल गुलाबी बसँती,
सुँदर बदन तोहर छौ गुलाब के भँडार गै छौँरी।
गोरिया रँग तोहर बेजोड़ केहन मारै छौ इजोर,
चकाचक चढ़ल जुआनी पर मिटौ सँसार गै छौँरी।
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