गुरुवार, 12 जनवरी 2012

गजल


मैथिलीकेँ नुकेलासँ किछु नै हएत
उर्दूसँ खिसिएलासँ किछु नै हएत

समां लिअए सभकेँ, भाषा ओ बढ़त आगू
किनको हल्ला मचेलासँ किछु नै हएत

बुत्ता हुअए तँ खोंट अपनामे ताकू
छुच्छे आँगुर चमकेलासँ किछु नै हएत

जँ कवि छी जनमानसक कविता लीखू
प्रीतमक आँचरमे ओझरेलासँ किछु नै हएत

जँ बदलाव चाहैत छी, आगाँ बढ़ू "रौशन"
बाट अनकर जोहलासँ किछु नै हएत

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तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों