सोमवार, 11 फ़रवरी 2013

मास जनवरी 2013क लेल गजल सम्मान योजनाक पहिल चरण


हमरा इ सूचित करैत बड्ड नीक लागि रहल अछि जे " अनचिन्हार आखर"द्वारा स्थापित " गजल कमला-कोशी-बागमती-महानंदा" सम्मानक पहिल चरण बर्ख-2013 ( मास जनवरी  लेल ) पूरा भए गेल अछि। मास  जनवरी  लेल सुमित मिश्र जीक एहि रचना के चयन कएल गेलैन्हि अछि। हुनका बधाइ।



बीतल समय नै घुरि कऽ आबै छै
सबटा लोक बैस एतबे गाबै छै

समय सँ बड़का नै कोनो खजाना
जिनगी मे जीतल जीत हराबै छै

मोल एकर जे बूझि नै सकलनि
तँ किए नहुँ-नहुँ नोर बहाबै छै

कपट द्वेष सँ मोन आन्हर अछि
आँखि मुनि भाग्य ठोकर पाबै छै

झुलसि दुपहरिया बाट चलै छै
थम्हि कऽ मीठगर राग सुनाबै छै

समय संगहि सब दौड़ लगाबै
"सुमित"कर्मक 
ल फरियाबै छै

वर्ण-13
सुमित मिश्र



नीक शुरुआत छन्हि हिनक आ हमरा सभकेँ हिनकासँ अरबी बहरक आशा अछि।

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तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों