गजल-1.39
हँसलेसँ सब गप बनै छै
कनलासँ बस जल खसै छै
केलक जुलुम जाड़ गर्मी
खन बर्फ खन तन जड़ै छै
ताड़ी बहुत पीब लेलक
मोनक दरद नै घटै छै
छै घून रइशीक लागल
नै फूल अरहुल फड़ै छै
धोती धुआ जींस खेलक
बहसीक नजरिसँ मरै छै
शौकिन रिमोटक सगर जग
तेँ धोधि लोकक बढ़ै छै
परसू कने हास्य चटनी
एहिसँ तँ सेहत बनै छै
मुस्तफइलुन-फाइलातुन
2212-2122
बहरे-मुजास
अमित मिश्र
हँसलेसँ सब गप बनै छै
कनलासँ बस जल खसै छै
केलक जुलुम जाड़ गर्मी
खन बर्फ खन तन जड़ै छै
ताड़ी बहुत पीब लेलक
मोनक दरद नै घटै छै
छै घून रइशीक लागल
नै फूल अरहुल फड़ै छै
धोती धुआ जींस खेलक
बहसीक नजरिसँ मरै छै
शौकिन रिमोटक सगर जग
तेँ धोधि लोकक बढ़ै छै
परसू कने हास्य चटनी
एहिसँ तँ सेहत बनै छै
मुस्तफइलुन-फाइलातुन
2212-2122
बहरे-मुजास
अमित मिश्र
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