गजल-1.40
मरघट जरल लाश बनलौं
छाउर भेल आश बनलौं
खेलाड़ी तँ पैघ तैयो
फाटल सड़ल ताश बनलौं
बचलै नै जमीनदारी
बालुक खेत चास बनलौं
भुतियेबे करब बढ़ल जन
आमसँ नै जँ खास बनलौं
चम्पा झड़ल रात रानी
झड़कल सन पलास बनलौं
पूतक लेल धन अरजलौं
बड निर्धन खबास बनलौं
टाँगल मोन "अमित "घरपर
बंगक मोहपाश बनलौं
मफऊलात-फाइलातुन
2221-2122
अमित मिश्र
मरघट जरल लाश बनलौं
छाउर भेल आश बनलौं
खेलाड़ी तँ पैघ तैयो
फाटल सड़ल ताश बनलौं
बचलै नै जमीनदारी
बालुक खेत चास बनलौं
भुतियेबे करब बढ़ल जन
आमसँ नै जँ खास बनलौं
चम्पा झड़ल रात रानी
झड़कल सन पलास बनलौं
पूतक लेल धन अरजलौं
बड निर्धन खबास बनलौं
टाँगल मोन "अमित "घरपर
बंगक मोहपाश बनलौं
मफऊलात-फाइलातुन
2221-2122
अमित मिश्र
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