गजल-1.48
फेर एलै मधुमास साल भरि बाद
प्रीतकेँ जागल आश साल भरि बाद
पीब मधुकर रस गीत विपिनमे गाबि
सहि रहल पुष्पक पाश साल भरि बाद
माँगिते भेटत नै समुचित अधिकार
छीन लिअ सब निज चास साल भरि बाद
वायु बहलै मातल सगर नगर गाम
भरल ऊर्जा नव साँस साल भरि बाद
आबि होली नव रंग संग पाहुनक
फेर हेतै परिहास साल भरि बाद
घैलमे सागर भरि तँ नै सकब "अमित"
मोनमे भरि लिअ भास साल भरि बाद
2122-2212-1221
अमित मिश्र
फेर एलै मधुमास साल भरि बाद
प्रीतकेँ जागल आश साल भरि बाद
पीब मधुकर रस गीत विपिनमे गाबि
सहि रहल पुष्पक पाश साल भरि बाद
माँगिते भेटत नै समुचित अधिकार
छीन लिअ सब निज चास साल भरि बाद
वायु बहलै मातल सगर नगर गाम
भरल ऊर्जा नव साँस साल भरि बाद
आबि होली नव रंग संग पाहुनक
फेर हेतै परिहास साल भरि बाद
घैलमे सागर भरि तँ नै सकब "अमित"
मोनमे भरि लिअ भास साल भरि बाद
2122-2212-1221
अमित मिश्र
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