गजल-1.45
ने हम इम्हर छी आ ने उम्हर छी
बीच्चे सरितामे भासल असगर छी
भावक साँचामे आखर ढालै छी
हम कवि नै छी सुच्चा कारीगर छी
जीवन मानै बीड़ी सिगरेटेकेँ
मोनक हारल आ हृदयक पाथर छी
ने आस्तिक बनलौं ने नास्तिक बनलौं
मंदिरमे सीढ़ी चढ़ि भागल नर छी
हवणक कुण्डसँ बहराइत उष्मा हम
घी-तीलक संगे स्वाहा आखर छी
देशद्रोहक साटल चिप्पी तनपर
स्वर्गक केबारसँ सटि बैसल बाहर छी*
ढहलै "अमित"क घर बनलै अनको नै
दाहर पैसल जतऽ ओ चऽर चाँचर छी
दस टा दीर्घ सब पाँतिमे
*जकरा फाँसीक सजा भेटल होइ ओकर मोनक गप अछि
अमित मिश्र
ने हम इम्हर छी आ ने उम्हर छी
बीच्चे सरितामे भासल असगर छी
भावक साँचामे आखर ढालै छी
हम कवि नै छी सुच्चा कारीगर छी
जीवन मानै बीड़ी सिगरेटेकेँ
मोनक हारल आ हृदयक पाथर छी
ने आस्तिक बनलौं ने नास्तिक बनलौं
मंदिरमे सीढ़ी चढ़ि भागल नर छी
हवणक कुण्डसँ बहराइत उष्मा हम
घी-तीलक संगे स्वाहा आखर छी
देशद्रोहक साटल चिप्पी तनपर
स्वर्गक केबारसँ सटि बैसल बाहर छी*
ढहलै "अमित"क घर बनलै अनको नै
दाहर पैसल जतऽ ओ चऽर चाँचर छी
दस टा दीर्घ सब पाँतिमे
*जकरा फाँसीक सजा भेटल होइ ओकर मोनक गप अछि
अमित मिश्र
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