शुक्रवार, 4 नवंबर 2011

गजल


किया एना ई भ' गेल छै देखू उनटा व्यवहार।
हर वहै से खढ खाय छै, बकरी खाय अचार।

ककरो तन नै झाँपल, कियो आडम्बर छै केने,
कियो तरसल बूँद लेल, लागल कतौ सचार।

रामनामा ओढि केँ आबै भीतर रखने खंजर,
छै जकर मोन दरिद्र, हमरा देलक हकार।

महगी केर बाण चलै छै चाम देहक नोचैत,
जन-जन ओ बाण सहै भूशायी पडल लाचार।

जीबै केर अधिकार छिनायल "ओम" देखू कोना,
'सुनामी' बनि तडपैत मोन मे भरल विचार।
--------------- वर्ण १८ -----------------

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तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों