शुक्रवार, 18 नवंबर 2011

गजल

घुप्प अन्हार जीवन मे चाही एक मुट्ठी ईजोत
कोन जुगते आब बान्हि राखी एक मुट्ठी ईजोत
परित्यक्ता बनाय अहां के नोतल जे अनहरिया
प्राण विहीन शरीर के चाही एक मुट्ठी ईजोत
स्वर्ग और नर्क छैक एतहि भ्रमित छैक मनुख
नर्क के स्वर्ग बनेबा ले चाही एक मुट्ठी ईजोत
धर्म त धर्म छे सदगति करबै छैक सदिखन
सदगति के पावै लेल चाही एक मुट्ठी ईजोत
अज्ञानता छैक कारण समाजक अवनति लेल
ज्ञान दीप जरबै लेल चाही एक मुट्ठी ईजोत
--वर्ण - १९ --

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तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों