घुप्प अन्हार जीवन मे चाही एक मुट्ठी ईजोत
कोन जुगते आब बान्हि राखी एक मुट्ठी ईजोत
परित्यक्ता बनाय अहां के नोतल जे अनहरिया
प्राण विहीन शरीर के चाही एक मुट्ठी ईजोत
स्वर्ग और नर्क छैक एतहि भ्रमित छैक मनुख
नर्क के स्वर्ग बनेबा ले चाही एक मुट्ठी ईजोत
धर्म त धर्म छे सदगति करबै छैक सदिखन
सदगति के पावै लेल चाही एक मुट्ठी ईजोत
अज्ञानता छैक कारण समाजक अवनति लेल
ज्ञान दीप जरबै लेल चाही एक मुट्ठी ईजोत
--वर्ण - १९ --
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