मोन पर आब लगाम नई कसल जाइए
देख समाजक दुर्दशा नोर ख़सल जाइए
कोशी बागमती ओ कमला तीनू जे छैथि क्रुद्ध
हुनक उन्मादे आई मिथिला बहल जाइए
सौन भादो बरखा भुतियाएल गामक बाट
जॅटा जटीन के प्रभाव आब ख़सल जाइए
बेगारी मे बैसल तास फेटैत नवयुवक
गामक जवान सब नशा मे फ़सल जाइए
लोभ तृष्णा द्वेषक थाल मे धसल ई समाज
हिनक दहेज माया मे बेटी जरल जाइए
--वर्ण - १७ --
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें