नित पूछै छै किछ सवाल इ जिनगी।
करै सदिखन नब ताल इ जिनगी।
कखनो बनि दुखक घुप्प अन्हरिया,
लागै मारि सँ फूलल गाल इ जिनगी।
सुखक राग कखनो सुनाबै एना केँ,
रंगल बनि कतेक लाल इ जिनगी।
कहै जिनगी होइत छै जीबैक नाम,
ककरो लेल होइ ए काल इ जिनगी।
जिनगी केँ बूझै मे "ओम" ओझरायल,
जतबा बूझलौं लागै जाल इ जिनगी।
------------- वर्ण १४ -------------
ई गजल " मिथिला-दर्शन" केर अंक मार्च-अप्रैल २०१२मे प्रकाशित भेल।
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