गुरुवार, 3 नवंबर 2011

गजल


धरल रहि जैत होशियारी, मोटरी बान्हने की हैत।
जखन टूटल अछि केवाडी, यौ ताला भरने की हैत।

नीमक पात तर चानन कानै ई कोन रीत रचेलै,
जे ई सवार बनल सवारी, नाक रगडने की हैत।

केहेन गाछी अहाँ लगेलौं जे भूताहि भेल जाइ ए यौ,
बढबै लागै जखन बेमारी, दवाई कीनने की हैत।

झरकल मुँह केँ झाँपने नीक होइत छै सदिखन,
राखले रहि जैत ई तैयारी, मुँह केँ रँगने की हैत।

शीशा महग भेल हीरा सँ "ओम" केँ अचरज लागल,
राखले घर भरल बखारी, सगरो कानने की हैत।
------------------ वर्ण २० -------------------

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तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों