मंगलवार, 15 नवंबर 2011

गजल

गरदनी रसपान देहप्रेमक सोपान भ गेलई
प्रेम रस आब नागक विष पान भ गेलई !

नवयौवनक रुप छलै प्रेम कविक स्वप्रेरणा
देहक सौन्दर्य पर बाला के गुमान भ गेलई !

खेल कूदि पढैत बढैत छोट छीन बालपन
आई नवजात सब अहिना सयान भ गेलई !

मरि रहल अछि संस्कृति, जरैत संस्कार
प्रेमक अनुभूति आब त श्मशान भ गेलई !

गरदनी रसपान देहप्रेमक सोपान भ गेलई
पवित्र प्रेमक भाव के आब उठान भ गेलई !
- भास्कर झा

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तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों